RJD के जवाब में JDU ने फिर जारी किया पोस्टर , कांग्रेस भी कूदी मैदान में

जारी किया पोस्टर : बिहार की राजनीति में पोस्टर वार जारी है।आरजेडी और जेडीयू के बीच जारी इस सियासी जंग ने बिहार विधान सभा चुनाव के संघर्ष का अहसास करीब 9 महीने पहले ही करवा दिया है। शुक्रवार को आरजेडी के पोस्टर के बाद जेडीयू ने एक बार फिर आरजेडी को पोस्टर के जरिये जवाब दिया है। पार्टी ने इस पोस्टर के जरिये जहां 15 साल बनाम 15 साल दिखाया है वहीं आरजेडी के लगाये पोस्टर में लिखे गए शब्दों की गलतियां दिखाते हुए तंज कसा है।जेडीयू ने इन खामियों को चरवाहा विद्यालय का आतंक बताया है।
जारी किया पोस्टर : कई जगह कसा गया है तंज
जेडीयू द्वारा जारी पोस्टर में लालू राबड़ी के 15 वर्षों के शासन को कराहता बिहार से तुलना की है, वहीं सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले 15 साल के शासन को संवरते बिहार की श्रेणी में दिखाया गया है। इस पोस्टर में शुक्रवार को राजद द्वारा जारी किए गए पोस्टर में ‘नीति’ शब्द को ‘निति’ लिखने और ‘टोकरी’ को ‘टोकड़ी’ लिखे जाने पर तंज कसा गया है और इसे चरवाहा विद्यालय से जोड़ा गया है।बिहार में चल रहे पोस्टर वार में जेडीयू और आरजेडी के बीच अब कांग्रेस भी खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहर भर में पोस्टर लगाए हैं जिसमें क्रिकेट मैदान की शक्ल देते हुए UPA और NDA को दो खेमो में दिखाया गया है। इस पोस्टर के जरिए नीतीश कुमार पर हमला करते हए कई सवाल दागे गए हैं। 2020 के चुनाव को टेस्ट की जगह 20- 20 का मैच बताया गया है और पूछा गया है कि जो वादे नीतीश कुमार ने जनता से किए थे उन वादों का क्या हुआ?
पोस्टर में दिखाया गया अपराध :
गौरतलब है कि पोस्टर वार की शुरुआत गुरुवार को पटना शहर के बीचोंबीच इनकम टैक्स चौराहे पर एक बड़ा पोस्टर लगने के साथ हुई थी। इसमें सीएम लालू-राबड़ी शासन काल के 15 साल और सीएम नीतीश कुमार के शासन काल के 15 साल की तुलना की गई थी।’हिसाब दो-हिसाब लो’ शीर्षक से जारी इस पोस्टर में लालू-राबड़ी के शासनकाल को जंगलराज और सीएम नीतीश के शासन को सुशासन दिखाने की कोशिश की गई थी। वहीं आज इसके जवाब में आरजेडी ने एक नया पोस्टर जारी कर दिया था। इस पोस्टर में भी 15 साल बनाम 15 साल की तुलना करते हुए लालू-राबड़ी शासन काल को गरीबों का राज और सीएम नतीश के शासन काल को अपराधियों का राज कहा गया था। इसमें गरीबों का राज वाले सेक्शन में लालू यादव को गरीबों का मसीहा दिखाने की कोशिश की गई है जबकि सीएम नीतीश कुमार के शासन काल की अपराध की उन घटनाओं को दर्शाया गया है जो मीडिया की सुर्खियों में रही।
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