ऑनलाइन शिक्षा के बहाने जाने कौन से खतरे पैर पसार रहे हैं आपके बच्चों के ज़िंदगी में

आज दुनियाभर में महामारी फैलने के कारण पूरी दुनिया लॉकडॉउन का सितम सह रही है। इसके चलते स्कूल और कॉलेजेस के दरवाजों पर भी ताले लटके हुए हैं। लेकिन अच्छी बात है कि, सरकार व स्कूल प्रबंधन द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। पर चिंता जताने वाली यह बात है कि, ऑनलाइन शिक्षा के बहाने बच्चे अपना सारा समय मोबाइल को ही दे रहे हैं। यहां तक कि जो बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया से दूर रहते थे आज उन्हें भी इंटरनेट का चस्का चढ़ गया है।
यदि अभिभावक द्वारा सावधानी नहीं बरती गई तो बच्चों को इंटरनेट की दुनिया से बाहर निकालना पाना मुश्किल हो जाएगा।
इस विषय पर जानिए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार शर्मा की राय
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार शर्मा के अनुसार बच्चों का मन काफी चंचल होता है। वे हमेशा कुछ न कुछ नई खोज में रहते हैं। पहले उनके पास किताबें थी। उसी में उलझे रहा करते थे, लेकिन अब उनके हाथों में मोबाइल और हाई स्पीड नेट का इंतेजाम है। नेट के माध्यम से पूरी दुनिया उनकी मुट्ठी में है। वे जो चाहे देख सकते हैं।इस तरह ऑनलाइन शिक्षा के बहाने वे गेम भी खेल सकते हैं और सोशल मीडिया पर एक्टिव भी रह सकते हैं।
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ग़ौरतलब यह है कि, कई बार जाने अनजाने बच्चे इंटरनेट का गलत इस्तेमाल करने में जुट जाते हैं। और जब तक उनके अभिभावकों को पता लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस वजह से कहा जा रहा है कि ऑनलाइन शिक्षा के दौरान बच्चों के साथ उनके अभिभावक बैठें रहें। जिससे कि उनके बच्चों की पढ़ाई में सहायता भी हो सकेगी और उन पर नज़र भी बनी रहेगी।
जानिए और क्या क्या ख़तरा ला सकता है इंटरनेट
मनोचिकित्सक डॉ. राकेश कुमार सिंह कहना है कि, नेट की दुनिया बच्चों के सामने आज सबसे बड़ा ख़तरा बन खड़ी हुई है। स्कूलों में भी मोबाइल ले जाना माना है, लेकिन जब से ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई है, बच्चों के हाथों में चार से पांच घंटा मोबाइल रह रहा है। मोबाइल के साथ ज़्यादातर बच्चे एकांत में रहना चाहते हैं। चाहे वे पढ़ना चाहते हों या गेम खेलना। ऐसे में अभिभावकों को मोबाइल चेक करना चाहिए कि, बच्चे क्या देख रहे थे। साथ ही बच्चों से यह भी पूछना चाहिए कि आज क्या पढ़ाई हुई, ऑनलाइन पढ़ाई समझ आ रही है या नहीं।
देखा जाए तो ऑनलाइन शिक्षा बच्चों की पढ़ाई में सहायता ही प्रदान कर रही। इस विकल्प से बच्चों की पढ़ाई भी नहीं छूूट रही और उनका समय बर्बाद भी नहीं हो पा रहा। बस बात सावधानी की है, जब तक बच्चों के हाथों में मोबाइल है उन पर उनके अभिभावकों की कड़ी नज़र बनी रहे।
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