जानिए कैसे बॉलीवुड की मशहूर शख्सियत इरफान खान के अलविदा कहने पर बिहार वालों का दिल रोया

बॉलीवुड की मशहूर शख्सियत, इरफान खान ने कुछ दिनों पहले ही दुनिया वालों से अलविदा लीया है। इनके जाने पर देश के कोने-कोने से लोगों की आखें नम हुई हैं। इनकी अदाकारी में एक आम आदमी की झलक दिखती थी। वे जब पर्दे पर नज़र आते थे तो लोगों की नज़र स्क्रीन पर ही टिकी रह जाती थी। उनकी बोल भाषा एक आम बिहारी की तरह थी। इस कारण बिहारियों को भी इनसे काफ़ी ज़्यादा लगाव था।
वह एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने कई बिहारियों को पर्दे पर आने के लिए प्रेरित किया है। इनकी सादगी से प्रेरित हो कर कई बिहारवासियों ने अपनी जगह फिल्म इंडस्ट्री में बनाई है।
बिहार से जुड़े एक और मशहूर अभिनेता, पंकज त्रिपाठी ने इरफान खान के जाने पर बेहद दुख जताते हुए लिखा कि, ‘कभी कभी भावनाओं को बता पाना संभव नही होता , वही हो रहा है इरफ़ान दा। आप जानते हैं कि आप क्या हैं हमारे लिए।’
जानिए और क्या क्या यादें वे छोड़ गए
आपको बताएं कि, इरफान पहली और आखरी मर्तबा 7 जुलाई, 2016 को पटना पधारे थे, अपनी हिंदी फिल्म मदारी के प्रमोशन के सिलसिले में। और बिना कुछ खाए पिए ही इंटरव्यू देने के लिए हामी भर दी थी। इस बात से ही उनका बड़प्पन झलक जाता है कि, वे भले ही एक स्टार थे लेकिन दूसरों की मुस्कान की चमक देखना उनकी एक आम आदमी जैसे आदत थी।
हल्की दाढ़ी वाले लुक में टीशर्ट के ऊपर नीले रंग की ओपन बटन शर्ट पहने इरफान एक आम आदमी जैसे ही लग रहे थे। यही उनकी खासियत भी थी और मजबूती भी। उस शाम वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने उनके 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास भी गए थे। वहां उन्होंने लालू के साथ एक शानदार सेल्फ़ी भी ली थी। उस तस्वीर को ट्विटर पर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था कि, ‘बवाल बिहार में, बवाल लोगों के साथ, बवाल सेल्फी।’ इस दौरान तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी इरफान की मुलाक़ात हुई थी।
जानिए कैसे इरफान खान के जाने पर लेखकों ने जताया दुख
प्रसिद्ध लेखिका पद्मश्री उषा किरण खान लिखती हैं, ‘इरफान मेरे सर्वाधिक पसंदीदा अभिनेता थे। दूरदर्शन पर जब पहली बार लेनिन नाटक देखा तबसे मैं इनकी मुरीद रही। मेरी बेटी कनुप्रिया शादी कर मुम्बई अपने पति चेतन पंडित के साथ रहने गई तो इरफान मलाड के हरिद्वार अपार्टमेंट में किराए पर रहते थे। इरफान और उनकी पत्नी सुतापा दास गुप्ता से आत्मीय जुड़ाव रहा। इरफान गाहे बगाहे कनुप्रिया से पूछ लेते कि आंटी को मेरा यह या वह अभिनय कैसा लगा।’
आपको यह ख़ास बात भी पता होनी चाहिए कि, बिहार के एक युवा गीतकार राजशेखर ने इरफान कि 2017 में रिलीज हुई फिल्म ‘करीब करीब सिंगल’ में लिखा था- ‘वो जो था ख्वाब सा…क्या कहें जाने दें…ये जो है कम से कम…ये रहे कि जाने दें।’ यह गीत आज उनके बिहारी फैंस के लबों पर गुनगुना रहा है। जगह जगह इस गीत को गाते हुए लोग पाए जा रहे हैं।
वह फ़िल्म इंडस्ट्री और सिनेप्रेमियों को ऐसी शानदार फिल्में भेंट कर गए हैं जिसका कोई मुक़ाबला नहीं। इस कारण भी बॉलीवुड की इस मशहूर शख्सियत को भूल पाना असंभव है। इनके सादगी भरे मिज़ाज को हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाएगा।
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